इनकम टैक्स विभाग की नजर हमेशा उन लोगों पर होती है जो गलत तरीके से पैसे अर्जित करते हैं। ऐसे लोग जब गिरफ्त में आते हैं तो उसे लेकर कई तरह के बड़े खुलासे होते हैं। अब एक बार फिर से इनकम टैक्स विभाग को बड़ी सफलता मिली है, क्योंकि उनके हाथ कुबेर का खजाना लगा है।
इनकम टैक्स विभाग ने एक कंपनी के कई ठिकानों पर छापेमारी की है जिसमे से एक जगह पर करोड़ों में कैश और करोड़ों रुपये का सोना बरामद किया गया है। उसे देखकर अधिकारी भी हैरान रह गए, क्योंकि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इस छापेमारी में इतनी बड़ी रकम एक साथ मिल सकती है।
मनोज गुप्ता के फ्लैट से बरामद हुआ कैश और सोना
इनकम टैक्स विभाग के अधिकारियों ने मयूर ग्रुप कंपनी के कई राज्यों में छापेमारी की है जिसके लिए कुल 150 अधिकारियों की टीम नियुक्त की गई थी। उस दौरान कंपनी के मालिक मनोज गुप्ता के कानपुर स्थित एक फ्लैट में भी छापेमारी की गई, जहां से 3 रुपये कैश और 3 करोड़ के सोने का सिक्का बरामद किया गया है। इसे देखकर अधिकारियों की आँखें फटी की फटी रह गई, क्योंकि पहले से उन्हें इतनी बड़ी रकम और सोने के सिक्के की उम्मीद नहीं थी।
स्लाइडर मिरर के पीछे बना था खुफिया कमरा
जब इनकम टैक्स विभाग के अधिकारी मनोज गुप्ता के कानपुर स्थित फ्लैट में पहुंची तो उन्होंने सभी चीजों को एक-एक करके चेक करना शुरू कर दिया। उस दौरान कमरे में उन्हें एक बड़ा शीशा नजर आया। जिसे थोड़ा हिलाने पर उन लोगों को मालूम चला कि वह स्लाइडर मिरर है। फिर जब ऑफिसर्स अंदर गए तो उसे एक खुफिया कमरा मिला, जिसके अदंर जाते ही उनकी आंख खुली की खुली रह गई, क्योंकि वहां पर बहुत सारा कैश और सोने के सिक्के मौजूद थे।
150 अधिकारियों की बनी थी टीम
आयकर विभाग के अधिकारियों ने मयूर ग्रुप के कुल 20 ठिकानों पर छापेमारी की है। अधिकारियों ने कानपुर, मुंबई, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात और दिल्ली के अलावे अन्य ठिकानों पर छापेमारी की गई है। जब मयूर ग्रुप के ठिकानों पर इतनी बड़ी रकम हाथ लगी है, उसके बाद आयकर विभाग ने उन कंपनियों की जांच करना शुरू कर दिया है जो मयूर ग्रुप के साथ जुड़ी हुई है।
फर्जी कंपनी के नाम पर दिखाया 25 करोड़ का लोन
मयूर ग्रुप एक ऐसी कंपनी है जो फूड प्रोडक्ट्स, वनस्पति तेल और पैकेजिंग का काम करती है। हाल ही में इनकम टैक्स विभाग को उस पर शक हुआ है, क्योंकि उसने एक ऐसी कंपनी के नाम पर 25 रुपये का लोन दिखाया है जो हकीकत में नहीं है। इसके अलावा कंपनी द्वारा बहुत सारी गलत खरीदारी दिखाई गई है। फिर इससे जुड़ी कुछ सबूत आयकर विभाग को मिला, उसके बाद उसने आगे की कारवाई शुरू की।